नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन सहित छह दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया है। बीआर गवई और बीवी नागरत्ना की पीठ ने जेल में दोषियों के अच्छे आचरण को ध्यान में रखते हुए अपना आदेश सुनाया। शीर्ष अदालत ने नलिनी, रविचंद्रन के अलावा रॉबर्ट पायस, जयकुमार, एस राजा और श्रीहरन को रिहा किया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि लंबे समय से राज्यपाल ने इस पर कदम नहीं उठाया तो हम उठा रहे हैं । कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोषी करार दिए गए पेरारिवलन की रिहाई का आदेश बाकी दोषियों पर भी लागू होगा । इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई में पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था ।
फैसले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे छह दोषियों को समय से पहले रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरी तरह से अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत करार दिया है। पार्टी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया है।
राजीव गांधी हत्याकांड
21 मई 1991 को तमिलनाडु में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी । इस हादसे में कुल18 लोगों की मौत हुई थी ।
इस हत्याकांड में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था । जिनमे से 26 पकड़े गए थे । टाडा कानून के तहत आरोपियों पर कार्रवाई की गई और कुल 7 साल तक चली कानूनी कार्यवाही के बाद 28 जनवरी 1998 को कोर्ट ने हज़ार पन्ने के अपने फैसले में सभी आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी ।
इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी और कोर्ट ने अपने फैसले में 26 में से 19 दोषियों को रिहा किया था, केवल 7 दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा था और बाद में इसे बदलकर उम्रकैद कर दिया था।