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स्वास्थ्य, शिक्षा और कारोबार जगत में बड़े बदलाव लाएगा आर्थिक पैकेज : अमित शाह

गृहमंत्री अमित शाह ने आज घोषित आर्थिक पैकेज के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा, “आज की घोषणाएं आत्मनिर्भर भारत के विचार को साकार बनाने की दिशा में एक लंबा सफर तय करेंगी। ये स्वास्थ्य, शिक्षा और कारोबार के क्षेत्रों में व्यापक बदलाव लाने वाले कदम साबित होंगे, जिनसे करोड़ों गरीबों को रोजगार मुहैया होगा।”

ग्रामीण भारत के लिए किए गए आवंटन पर बात करते हुए श्री शाह ने कहा, “मोदी सरकार द्वारा मनरेगा के अंतर्गत 40,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन से न सिर्फ गरीब और प्रवासी कामगारों के लिए रोजगार पैदा करने में सहायता मिलेगी, बल्कि इससे टिकाऊ आजीविका संपदाएं भी तैयार होंगी।” उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आधारभूत ढांचे को व्यापक स्तर पर बढ़ावा मिलेगा।

गृह मंत्री ने कोविड-19 से निपटने में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि इस मामले में भारत ने कई विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत बनाकर और सुधार के माध्यम से भविष्य में किसी भी महामारी के लिए भारत को तैयार करने का संकल्प लिया है। मोदी सरकार ने हर जिले में इंफेक्शस डिसीसेस हॉस्पिटल ब्लॉक (संक्रामक बीमारी अस्पताल खंड) तैयार करने, प्रयोगशाला नेटवर्क और निगरानी को मजबूत बनाने तथा शोध को प्रोत्साहन देने के लिए भारत के स्वास्थ्य खर्च को बढ़ाने का फैसला किया है। मुझे भरोसा है कि यह दूरदर्शिता भारत को स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी आगे ले जाएगी।”

सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम नीति पर फिर से विचार करने के फैसले, आईबीसी से संबंधित उपायों के माध्यम से कारोबारी सुगमता में सुधार पर ध्यान केन्द्रित करने और कंपनी अधिनियम से आपराधिक प्रावधान हटाने पर श्री शाह ने कहा कि ऐसे फैसलों से आत्म निर्भर भारत की दिशा में पीएम मोदी की भविष्य दृष्टि और उनकी प्रतिबद्धता का पता चलता है।

गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने राज्यों की उधारी सीमा बढ़ाने का फैसला किया है, जिससे उन्हें 4.28 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन हासिल होंगे। राज्यों को पूर्व में दी गई निधि पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र अप्रैल में करों के विचलन (हस्तांतरण) के माध्यम से पहले ही 46,038 करोड़ रुपये; राजस्व घाटा अनुदान के 12,390  करोड़ रुपये; और एसडीआरएफ कोष के रूप में 11,000 करोड़ रुपये दे चुका है।

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