बिहार अपने गौरवशाली इतिहास और समृद्ध संस्कृति के लिए पूरे विश्व मे महशूर है । कई लेखक, कवियों व इतिहासकार ने बिहार को अपनी रचनाओं में बिहार को खास जगह दी है ।ऐसी ही एक कवियत्री मीरा कुमार है, जिन्होंने अपनी कविता के माध्यम से ‘बिहार’ का सम्पूर्ण वर्णन किया है । पेश है उनकी लिखी कविता के प्रमुख अंश ।
यही तो बिहार है
बुद्ध की नगरी जैन तीर्थंकर का स्थान हूँ ,
सिया सी शीलवान दिनकर का अभिमान हूँ ,
शिव भी चाकरी कर आए विद्यापति की ,
उस मिट्टी में मिले अयाची मिश्र की शान हूँ ,
चाणक्य का अर्थशास्त्र शून्य बिना सब सूना ,
उस आर्यभट की सुनहरे मिट्टी की मैं जान हूँ ,
स्वर्ण चिड़िया होकर जो साम्राज्य था ब्लूचिस्तान तक,
आज उस अशोक की जीवंत नोट पर छपी नाम हूँ ,
गुरू गोविंद सिंह जी की कहती जो क़ुरबानी ,
उस मात पिता की हिम्मत दलेरी पर हैरान हूँ ,
मगध प्रथम विश्वविद्यालय की उठती आवाज़ हूँ ,
अपने उस अमिट विश्वधरोहर की मैं पहचान हूँ ,
मंगलपांडे की ललकार भरी गर्जना की आगाज ,
गाँधी की सत्याग्रह की उठती आवाज़ की परवान हूँ ,
U.P.S.C और I.I.T से दर्जा जो बढ़ाए देश का ,
उस शिक्षा नीति का उच्चतम मैं अभिमान हूँ ,
छठ पूजा संग मदमस्त संयुक्त परिवार का आधार हूँ,
अनेकों भाषाओं संग एकजुटता का मदमस्त तान हूँ ,
कोशी कमला का तांडव गंगा की अलबेली धार हूँ,
संपदा ,शिक्षा व संस्कृति को आज डूबते देख हैरान हूँ ,
सियासी मोहरों में फँसकर भी देश को सौग़ात दे जाए ,
जी हाँ मैं ही वो पाटलिपुत्र गौरवान्वित बिहार हूँ ,
मीरा कुमार मीरू
ग़ाज़ियाबाद
(यहां प्रकाशित कविता मीरा कुमार मिरु की है साथ ही इसमे प्रस्तुत विचार उनके निजी है । चैनल इसके लिए किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नही है । )